मज़बूरी Nirpendra Kumar Sharma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें महिला विशेष किताबें मज़बूरी मज़बूरी Nirpendra Kumar Sharma द्वारा हिंदी महिला विशेष 345 759 "मज़बूरी"नन्ही रौनक गुब्बारे को देख कर मचल उठी, अम्मा अम्मा हमें भी गुब्बारा दिलाओ ना दिलाओ ना हम तो लेंगे वो लाल बाला, दिलाओ ना अम्मा।भइया कितने का है फुग्गा कांता ने गुब्बारे बाले से पूछा।एक रुपए का है ...और पढ़ेजी ले लीजिए बच्ची का दिल बहल जाएगा।ए क रूपा कांता के मुंह से जैसे उसकी निराश उसकी मजबूरी निकली हो।रहने दो भय्या बाद में दिला दूंगी अभी (पैसे,, )खुल्ले नहीं है भय्या वह अपने चेहरे के भावों को छिपाती हुई बोली।चल रौनक हमें तेरे पापा की दवाई भी लेनी है ना।कांता रौनक का हाथ पकड़े लगभग घसीटते हुए कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर Nirpendra Kumar Sharma फॉलो